यूँ ही नहीं बन जाता कोई भी शाहरुख खान

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शाहरुख की करीबी दोस्त और कोस्टार जूही चावला ने बताया – एक वक्त था जब शाहरुख के पास अपनी कार की EMI भरने की भी व्यवस्था नहीं थी मगर किंग खान बाखूबी जानते थे कि हार कर जीतने वाले को ही बाज़ीगर कहते हैं ।

आज के Entertainment Blog में, हम शाहरुख खान की फर्श से अर्श तक की जर्नी के बारे में चर्चा करेंगें और वो भी उनकी प्रिय दोस्त और कोस्टार रही जूही चावला के एक बयान के चलते जिसमें उन्होने बताया कि कैसे एक वक्त था जब किंग खान के पास घर तक खरीदने के पैसे नहीं थे और यही नहीं एक ऐसा मार्मिक क्षण भी आया जब शाहरुख खान की प्रिय काली जिप्सी को EMI भुगतान में असमर्थता के कारण जब्त कर लिया गया था ।

हम बॉलीवुड में शाहरुख खान के शुरुआती संघर्षों के बारे में भी जानेंगें, जहां उन्हें कई असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन वह अटूट जुनून और समर्पण के साथ डटे रहे और ऐसे माहौल में जूही हमेशा उनकी हिम्मत बाँधती रहीं कि एक दिन वो इंडस्ट्री के सबसे कामयाब स्टार बनेंगें और उनके पास ढेरों गाडियाँ होंगीं और बस फिर क्या था किंग खान ने सिर्फ एक चीज़ सोची (मान जा ए खुदा, मैं बन जाऊँ सबसे बड़ा) और सारी कायनात शिदद्त से उन्हें ये चीज़ दिलाने में जुट गई और देख लीजिये आज किंग खान ऐसा नाम बन गया है जो किसी परिचय का मोहताज नहीँ । उनका डंका न सिर्फ भारतीय सिनेमा बल्कि समूचे विश्व में बज रहा है ।

यह आर्टीकल शाहरुख खान और जूही चावला के बीच प्योर फ़्रेंडशिप पर भी प्रकाश डालता है, उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री और कई प्रशंसित फिल्मों में उनके द्वारा एक साथ बनाए गए जादू का वर्णन भी करता है ।

और अंत में, हम SRK के बारे में कुछ ऐसी बातों के बारे में जानेंगे जो शायद ही कोई जानता होगा, साथ ही साथ हम उनके जीवन और करियर के उन पहलुओं पर प्रकाश डालेंगें जिसकी बदौलत वो कामयाबी के शिखर तक पहुंचे । यदि आपको यह आर्टीकल ज्ञानवर्धक और Entertainment से भरपूर लगा, तो मनोरंजन की दुनिया में Latest अपडेट के लिए Google News पर हमें फ़ॉलो करना न भूलें ।

एक वक्त था जब EMI न चुका पाने के कारण उठा ली गई थी शाहरुख खान की काली जिप्सी, जूही चावला ने पुराने दिनों को याद करते हुये बताया ।

अपने करियर के शुरुआती दिनों में शाहरुख खान को कई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था । उनके पास एक काली जिप्सी थी, लेकिन EMI नहीं चुका पाने के कारण उन्हें छीन लिया गया था । उनकी सह-कलाकार जूही चावला ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा कि भविष्य में उनके पास कई और कारें होंगी । आज, शाहरुख के पास कई लग्जरी कारें हैं और वह मुंबई के बांद्रा में समुद्र के सामने वाले बंगले – मन्नत में रहते हैं ।

शाहरुख खान और जूही चावला की दोस्ती की कहानी

शाहरुख खान और जूही चावला के बीच एक खास दोस्ती का रिश्ता है जो दशकों से चला आ रहा है। आइए मैं उनकी दोस्ती के बारे में कुछ बातें साझा करता हूँ:

प्रारंभिक सह-कलाकार:

उन्होंने पहली बार फिल्म “राजू बन गया जेंटलमैन” (1992) में एक साथ काम किया । स्क्रीन पर उनकी केमिस्ट्री शानदार थी और उन्होंने ‘डर’, ‘यस बॉस’ और ‘डुप्लिकेट’ सहित कई अन्य फिल्मों में साथ काम करना जारी रखा ।

व्यावसायिक पार्टनर:

अभिनय से परे, उन्होंने प्रोडक्शन कंपनी ड्रीमज़ अनलिमिटेड के साथ मिलकर प्रोडक्शन में कदम रखा । बाद में, वे इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के संयुक्त मालिक बन गए ।

साझा की गई यादें:

जूही को मुंबई में शाहरुख के शुरुआती दिन याद हैं जब उनके पास वहां कोई घर भी नहीं था और वह दिल्ली से आते-जाते थे । इसके अलावा शाहरुख के पास एक काली जिप्सी थी, लेकिन वित्तीय कठिनाइयों के कारण उन्होंने यह जिप्सी भी उनके पास नहीं रही । तब, जूही ने उसे सांत्वना देते हुए कहा कि भविष्य में उसके पास कई और कारें और बंगले होंगें ।

कार्य नीति:

शाहरुख के समर्पण ने सभी को प्रभावित किया । उन्होंने अथक परिश्रम किया, कई शिफ्टें कीं और वह अक्सर फिल्म क्रू के साथ सहजता से घुलमिल जाते थे । उनके कार्यशील रवैये और अपनी कला के प्रति जुनून ने जूही और अन्य लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ी । आज भी उनकी दोस्ती मजबूत बनी हुई है, और बॉलीवुड में उनकी एक साथ यात्रा उनके स्थायी बंधन का प्रमाण है ।

शाहरुख खान का शुरुआती करियर संघर्षपूर्ण रहा

टेलीविजन की शुरुआत:

शाहरुख ने 1988 में लेख टंडन द्वारा निर्देशित शो “दिल दरिया” से टेलीविजन में अभिनय की शुरुआत की । उन्होंने “फौजी” (1989) और सोप ओपेरा “सर्कस” (1989-1990) जैसी श्रृंखलाओं में काम करना जारी रखा । फिर एक वक्त आया जब उनके अभिनय की तुलना महान अभिनेता दिलीप कुमार से की जाने लगी ।

बॉलीवुड में शामिल होने का निर्णय:

अपनी मां की मृत्यु के बाद शाहरुख ने बॉलीवुड में अपना करियर बनाने का फैसला किया । वह मुंबई चले गए, जहां उन्हें कई अस्वीकृतियों और कमतर भूमिकाओं का सामना करना पड़ा । मगर उन्होने कभी हिम्मत नहीं हारी और नतीजन उनकी पहली फिल्म, “दीवाना” (1992) ने उनकी बॉलीवुड यात्रा की शुरुआत की जिसने इंडस्ट्री में उनके नाम के झंडे गाड़ दिये ।

ऊर्जा और उत्साह:

उसी वर्ष, वह ‘दिल आशना है‘, ‘चमत्कार‘ और ‘राजू बन गया जेंटलमैन‘ जैसी फिल्मों में भी दिखाई दिए । उनकी ऊर्जा और उत्साह को दर्शकों और आलोचकों से समान रूप से प्रशंसा मिली ।

शाहरुख और जूही की यादगार फिल्में

शाहरुख खान और जूही चावला ने कई फिल्मों में शानदार केमिस्ट्री शेयर की है। यहां उनकी कुछ यादगार फिल्में हैं:

वन 2 का 4 (2001):

कलाकार: शाहरुख खान, जैकी श्रॉफ, जूही चावला

शैली: एक्शन, क्राइम, ड्रामा

कहानी: अरुण (एसआरके), एक सहायक पुलिस आयुक्त, घर की नौकरानी गीता (जूही) की मदद से अपने दिवंगत दोस्त के बच्चों का पालन-पोषण करता है । जब उसे पता चलता है कि उसके दोस्त की मौत एक हत्या थी, तो वह मामले की जांच करता है ।

कहां देखें: यूट्यूब, गूगल प्ले मूवीज और टीवी, एप्पल टीवी, नेटफ्लिक्स ।

फिर भी दिल है हिंदुस्तानी (2000):

कलाकार: शाहरुख खान, जूही चावला

शैली: हास्य, नाटक, संगीत

कथानक: दो प्रतिद्वंद्वी पत्रकार, अजय और रिया (एसआरके और जूही), दुश्मनी से दोस्ती और प्यार तक की कहानी और साथ ही साथ फिल्म में देशभक्ति की भावना भी है ।

कहां देखें: यूट्यूब, गूगल प्ले मूवीज और टीवी, एप्पल टीवी, नेटफ्लिक्स।

डुप्लिकेट (1998):

कलाकार: शाहरुख खान, जूही चावला, सोनाली बेंद्रे

शैली: एक्शन, क्राइम, कॉमेडी

कथानक: बब्लू (एसआरके) को अपने हमशक्ल मनु का पता चलता है, जो एक क्रूर अपराधी है । जैसे ही वे पहचान बदलते हैं, कहानी में ट्विस्ट आ जाता है ।

कहां देखें: नेटफ्लिक्स, अमेज़ॅन प्राइम वीडियो, यूट्यूब, गूगल प्ले मूवीज़ और टीवी, ऐप्पल टीवी ।

डर: एक हिंसक प्रेम कहानी (1993)

भारतीय हिंदी भाषा की रोमांटिक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर फिल्म यश चोपड़ा द्वारा अपने बैनर यश राज फिल्म्स के तहत निर्देशित और निर्मित है । यहां इसका सम्पूर्ण विवरण दिया गया है:

कास्ट:

राहुल मेहरा (जुनूनी प्रेमी) के रूप में शाहरुख खान

किरण अवस्थी के रूप में जूही चावला

लेफ्टिनेंट सुनील मल्होत्रा ​​(किरण के प्रेमी) के रूप में सनी देओल

अन्नू कपूर, तन्वी आज़मी और अनुपम खेर सहायक भूमिकाओं में हैं, दलीप ताहिल एक विशेष भूमिका में हैं ।

कहानी की समीक्षा:

किरण, एक कॉलेज छात्रा, का उसके सहपाठी राहुल द्वारा लगातार पीछा किया जाता है, जो उस पर एक जुनूनी क्रश रखता है । किरण की सगाई एक नौसेना अधिकारी सुनील से हो गई है, लेकिन यह जानकर राहुल पागल हो जाता है और किरण पर जबरदस्ती अपना दावा करने का फैसला करता है । फिल्म प्यार, जुनून और डर की पड़ताल करती है, जिसमें एक जुनूनी प्रेमी के रूप में राहुल के कैरेक्टर को आलोचनात्मक प्रशंसा मिली है । 24 दिसंबर 1993 को रिलीज़ हुई, डर एक बड़ी व्यावसायिक सफलता थी और इसे इसके निर्देशन, पटकथा, साउंडट्रैक और प्रदर्शन के लिए प्रशंसा मिली ।

पुरस्कार और मान्यता:

41वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ।

39वें फिल्मफेयर पुरस्कारों में 10 नामांकन, जिनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक (यश चोपड़ा), सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (सनी देयोल), सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (जूही चावला), और सर्वश्रेष्ठ खलनायक (शाहरुख खान) शामिल हैं ।

दो फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते: सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता (अनुपम खेर) और सर्वश्रेष्ठ छायांकन ।

यूँ ही नहीं बन जाता कोई भी शाहरुख खान
यूँ ही नहीं बन जाता कोई भी शाहरुख खान © Filmfare के सौजन्य से
SRK करियर राइजिंग स्टोरी

शाहरुख खान की सुपर स्टारडम की यात्रा प्रतिभा, दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की एक आकर्षक कहानी है । आइए इस प्रमुख माईलस्टोन पर एक नज़र डालें:

प्रारंभिक वर्ष और टेलीविजन कैरियर:

2 नवंबर, 1965 को नई दिल्ली, भारत में जन्मे शाहरुख खान (SRK) अभिनय के जुनून के साथ बड़े हुए । उन्होंने अपने स्कूल के दिनों में पढ़ाई और खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और यहां तक ​​कि सेंट कोलंबा स्कूल में सर्वोच्च पुरस्कार, “स्वॉर्ड ऑफ ऑनर” भी प्राप्त किया । SRK का टेलीविजन करियर ‘दिल दरिया’ (1988), ‘फौजी’ (1989), और ‘सर्कस’ (1989-1990) जैसे शो से शुरू हुआ । उनके अभिनय की तुलना महान अभिनेता दिलीप कुमार से की जाने लगी थी ।

बॉलीवुड डेब्यू:

जैसा कि हमने बताय अपनी मां के निधन के बाद शाहरुख ने बॉलीवुड में अपना करियर बनाने का फैसला किया । 1992 में, उन्होंने “दीवाना” से अपनी शुरुआत की, इसके बाद “दिल आशना है,” “चमत्कार,” और “राजू बन गया जेंटलमैन” जैसी फिल्में कीं । उनकी ऊर्जा और उत्साह ने ध्यान आकर्षित किया और उन्होंने सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता ।

नायक-विरोधी भूमिकाएँ:

SRK को सफलता फिल्मों में नकारात्मक भूमिकाओं से मिली:

डर” (1993): जुनूनी प्रेमी राहुल के रूप में, उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । “बाजीगर” (1993): एक प्रतिशोधी नायक का उनका चित्रण भी उतना ही प्रभावशाली था । “अंजाम” (1994): उन्होंने माधुरी दीक्षित के किरदार के प्रति जुनूनी क्रूर किरदार निभाया ।

रोमांटिक हीरो युग:

90 के दशक के मध्य से 2000 के दशक के मध्य तक, SRK देश के सबसे ज़बरदस्त रोमांटिक हीरो बन गए । “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे,” “कुछ कुछ होता है,” और “कल हो ना हो” जैसी प्रतिष्ठित फिल्मों ने उनकी स्थिति को मजबूत किया । कुछ प्रमुख अभिनेत्रियों, खासकर काजोल और जूही चावला के साथ उनकी केमिस्ट्री मशहूर हो गई ।

ऑफ-बीट विकल्प:

शाहरुख ने मुख्यधारा की सफलता को ऑफ-बीट फिल्मों के साथ भी संतुलित किया:

स्वदेस” (2004): एक एनआरआई की भारत वापसी के बारे में एक विचारोत्तेजक फ़िल्म । “दिल से” (1998): उग्रवाद की पृष्ठभूमि पर आधारित एक प्रेम कहानी । “चक दे! इंडिया” (2007): एक स्पोर्ट्स मूवी जिसमें उन्होंने एक महिला हॉकी टीम के कोच की भूमिका निभाई ।

SRK के बारे में कुछ सीक्रेटस

“बॉलीवुड के बादशाह” शाहरुख खान का सिल्वर स्क्रीन के अलावा भी दिलचस्प जीवन है । यहां उनके बारे में सीक्रेटस आपसे शेयर करतें हैं:

स्वतंत्रता सेनानी पिता:

SRK के पिता पाकिस्तान के पेशावर के एक लंबे पठान थे, जिन्होंने भारत की आज़ादी की लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लिया था ।

दृढ़ इच्छाशक्ति वाली माँ:

उनकी माँ दृढ़ निश्चय वाली महिला थीं । उनके प्रभाव ने शाहरुख के चरित्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

माता-पिता का प्रेम विवाह:

शाहरुख के माता-पिता ने सामाजिक मान्यताओं को तोड़ते हुए प्रेम विवाह किया था । उनकी प्रेम कहानी ने उन्हें काफी प्रेरित किया ।

अंतर्मुखी बहन:

उनकी बहन शेहनाज लालारुख अंतर्मुखी हैं और लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करती हैं ।

हिंदी संघर्ष:

हैरानी की बात यह है कि बॉलीवुड में अपने शुरुआती दिनों में शाहरुख हिंदी में पारंगत नहीं थे । उन्होंने अपने भाषा कौशल को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत की ।

Top Trending Entertainment Blog में फ़ाउन्डर और डिजिटल कंटेंट हेड के तौर पर काम कर रहे अजय सिंह को मीडिया में कई सालों का अनुभव है । एंटरटेनमेंट में रिपोर्टिंग, लेखन, फिल्म रिव्यू, इंटरव्यू और विश्लेषण इनकी विशेषज्ञता है । अजय सिंह कई नेशनल, रीज़नल न्यूज़ चैनल, और प्रिंट मीडिया व कई वेब मीडिया पोर्टल्स को अपनी सेवाएँ दे चुके हैं । अजय सिंह ने 'वॉइस ऑफ नेशन', 'न्यूज़ एक्स्प्रेस', 'ए टू ज़ेड न्यूज़' और 'समाचार प्लस' जैसे कई न्यूज़ चैनलों में अलग-अलग फील्ड में सेवाएं दी हैं और अभी भी फ्रीलान्स के तौर पर कुछ वेब मीडिया पोर्टल्स को अपनी सेवाएँ दे रहें हैं ।

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