एक युग का अंत

Spread the love

अ ट्रिब्यूट टू रतन टाटा

आज मन बड़ा व्यथित है और कंपकंपाते हाथों से टाटा साहब के लिए यह ब्लॉग लिखने की हिम्मत कर रहा हूँ, दोस्तों आज के ब्लॉग में हम रील लाइफ के हीरो की नहीं बल्कि रियल लाइफ के हीरो की बात करेंगे, जी हां हम बात कर रहे हैं देश को एक नए मुकाम पर लाकर खड़ा करने वाले जौहरी, स्वर्गीय श्री रतन टाटा साहब की । रतन टाटा साहब को 7 अक्टूबर मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था मगर बुधवार अक्टूबर 9, 2024 को देश को सबसे बड़ी दुखद खबर सुनने को मिली कि रतन टाटा साहब अब हमारे बीच नहीं रहे ।

रतन टाटा साहब  सिर्फ एक बाकमाल शख्सियत ही नहीं अपने आप में एक पूरा इनकॉरपोरेशन थे, उनके अथक प्रयासों ने न सिर्फ टाटा ग्रुप को बल्कि समूचे हिंदुस्तान को तरक्की की बुलंदियों पर लाकर खड़ा कर दिया । वह न सिर्फ लाखों-करोड़ों के रोल मॉडल थे बल्कि बेहद शानदार शख्सियत भी थे, उनका यूं अचानक चले जाना पूरे देश को गमगीन कर गया ।

आइये करीब से जाने इस शानदार शख्सियत को जिन्होंने बड़े कम समय में टाटा इंडस्ट्रीज को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाया

रतन टाटा का जीवन हमेशा से एक प्रेरणादायक यात्रा रहा है जो कहीं ना कहीं उनकी मेहनत, दूरदर्शिता, और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है । दुनिया को यह बेशकीमती हीरा 28 दिसंबर 1937 मुंबई में मिला था यानी रतन टाटा का जन्म इस दिन हुआ था । रतन टाटा की परवरिश उनकी दादी नवाज़ भाई टाटा ने की थी, रतन टाटा ने कार्निवल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद उन्होने हॉवर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया ।  

रतन टाटा ने 1962 में टाटा स्टील की जमशेदपुर इकाई में एक ट्रेनी के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और 1991 में उन्होंने टाटा समूह के अध्यक्ष पद को संभाला और उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने टेटली कोर्स और जगुआर लैंड रोवर जैसे महत्वपूर्ण कोलैबोरेशन किये जिनकी बदौलत टाटा ग्रुप वर्ल्ड का एक प्रमुख प्लेयर बन गया ।

टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज 2004 में लिस्ट हुई और यह भारत की सबसे बड़ी और मूल्यवान कंपनियों में से एक बन गई । इसके अलावा रतन टाटा ने अपने लीडरशिप में कई भारतीय स्टार्टअप में भी इन्वेस्ट किया जैसे पेटीएम, ओला, और अर्बन कंपनी । रतन टाटा हमेशा से सोशल सेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे । रतन टाटा ने शिक्षा स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल की है उनकी समाज सेवा के प्रति प्रतिबद्धता ने उनके लिए लोगों के दिल में खास जगह बनाई है ।

रतन टाटा का जीवन और उनकी समृद्धि की कहानी हमें सिखाती है कि कैसे दूरदर्शिता मेहनत और समाज सेवा से हम बड़े से बड़े लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं ।

एक युग का अंत

रतन टाटा के प्रेरणादायक किस्से

यूं तो रतन टाटा के जीवन में कई प्रेरणा स्रोत रहे हैं जो उनकी विनम्रता दूरदर्शिता और समाज सेवा को दर्शाते हैं, उनमें से उनमें से कुछ प्रेरणास्रोत हैं – जो हम आपसे शेयर कर रहे हैं

शॉप फ्लोर से अध्यक्ष तक का सफर : जैसा कि हमने बताया रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत टाटा स्टील के जमशेदपुर इकाई में एक ट्रेनी के रूप में की थी । उन्होंने शॉप फ्लोर पर काम किया था और धीरे-धीरे अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर वह टाटा समूह के अध्यक्ष तक पहुंचे, जो अपने आप में अविश्वसनीय और काबिले तारीफ है ।

ह्यूमैनिटी का जबरदस्त ज़ज़्बा : 2008 के हुए ताज हमले में रतन टाटा ने यह सुनिश्चित किया कि उनके हर कर्मचारी और पीड़ितों को हर संभव मदद मिले इसके लिए वह व्यक्तिगत रूप से जुड़ गए और उन्होंने यह सुनिश्चित किया इस सभी कर्मचारियों को बेहतर से बेहतर चिकित्सा और हर तरह की वित्तीय सहायता मिले ।

सादगी और विनम्रता : जिसकी बदौलत रतन टाटा को पूरी दुनिया जानती थी वह थी उनकी सादगी और विनम्रता, रतन टाटा को ज्यादातर साधारण कपड़ों में ही देखा गया था और वह अपने ड्राइवर के साथ ज्यादातर इकोनॉमी क्लास में ही यात्रा करते थे । उनकी इन्हीं खास बातों ने दुनिया में हर इंसान के दिल में उनके लिए एक अलग ही मुकाम स्थापित किया और देखते ही देखते वह सर्वोप्रिय हो गए ।

इनोवेटिव बिज़नेसमेन : रतन टाटा ने एक आम आदमी के लिए सस्ती और सुलह कर का एक सपना देखा और वह अपनी पूरी ताकत से उसे सपने को साकार करने में जुट गए और अंतत उन्होंने टाटा की नैनो कर को लोगों को समर्पित किया जिससे एक आम इंसान को भी कर का लुत्फ़ उठाने का मौका मिला ।

दृढता और साहस : दृढ़ता और साहस रतन टाटा के अटूट हिस्से थे क्योंकि जब टाटा समूह ने जगुआर लैंड रोवर का कोलैबोरेशन किया तो कई लोगों ने उनके इस कदम की आलोचना की लेकिन रतन टाटा अपने निर्णय पर अड़े रहे और उन्होंने इसे कामयाब करके दुनिया को एक सबक दिया कि जब भी आप सच्चे दिल से और कड़ी की गई मेहनत से काम करते हो तो एक न एक दिन कामयाबी जरूर आपके कदम चूमती है ।

एथिक्स हमेशा रतन टाटा के लिए सर्वोपरि रही है

क्या आपको पता है टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज में किसी भी एंप्लॉई को उसके रोल की ट्रेनिंग से पहले टाटा कोड आफ कंडक्ट सिखाया जाता है यानी टाटा के लिए कभी भी कोई भी चीज एथिक्स से बढ़कर नहीं रही है, इसका एक जीता जागता उदाहरण एक वाक्या है जिसमें एक बार दिल्ली के पास टाटा ग्रुप के एक एंप्लॉय का एक्सीडेंट में गुजर जाना उसके तुरंत बाद ही टाटा ग्रुप की तरफ से उसकी पत्नी के पास कुछ अधिकारी पहुंचे और जिस पद पर वह अधिकारी था वही सेम पोस्ट, सेम तनख्वाह उनकी पत्नी को ऑफर की गई और वह भी बिना किसी शर्तों के तो देखा आपने टाटा ग्रुप किस तरह अपने एथिक्स पर कायम रहता है और शायद यही वजह है की रतन टाटा कभी भी टॉप फाइव या टॉप टेन रिचेस्ट पर्सन की दौड़ में कभी नहीं रहे क्योंकि उनके लिए हमेशा से हर चीज से बढ़कर एथिक्स जरूरी रहा ।

देश के इस सच्चे सपूत को कोटि कोटि प्रणाम, आप सदैव हमारी स्मृतियों में जीवित रहेंगें “मिलेनियम डंबलडोर”

नोट : स्वर्गीय श्री रतन टाटा को उनके सहायक शांतनु नायडू ने मिलेनियम डंबलडोर का नाम दिया था, जो उनके जीवन और स्वभाव को दर्शाता है ।

Top Trending Entertainment Blog में फ़ाउन्डर और डिजिटल कंटेंट हेड के तौर पर काम कर रहे अजय सिंह को मीडिया में कई सालों का अनुभव है । एंटरटेनमेंट में रिपोर्टिंग, लेखन, फिल्म रिव्यू, इंटरव्यू और विश्लेषण इनकी विशेषज्ञता है । अजय सिंह कई नेशनल, रीज़नल न्यूज़ चैनल, और प्रिंट मीडिया व कई वेब मीडिया पोर्टल्स को अपनी सेवाएँ दे चुके हैं । अजय सिंह ने 'वॉइस ऑफ नेशन', 'न्यूज़ एक्स्प्रेस', 'ए टू ज़ेड न्यूज़' और 'समाचार प्लस' जैसे कई न्यूज़ चैनलों में अलग-अलग फील्ड में सेवाएं दी हैं और अभी भी फ्रीलान्स के तौर पर कुछ वेब मीडिया पोर्टल्स को अपनी सेवाएँ दे रहें हैं ।

Leave a Comment

error: Content is Copyrighted Protected !!